Lekhika Ranchi

Add To collaction

रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाएं


तोता--

3
सुनार बुलाया गया । वह सोने का पिंजरा तैयार करने में जुट पड़ा । पिंजरा ऐसा अनोखा बना कि उसे देखने के लिए देश-विदेश के लोग टूट पडे । कोई कहता, ''शिक्षा की तो इति हो गयी ।'' कोई कहता, ''शिक्षा न भी हो तो क्या, पिंजरा तो बना । इस तोते का भी क्या नसीब है!''
सुनार को थैलियाँ भर-भरकर इनाम मिला । वह उसी घड़ी अपने घर की ओर रवाना हो गया ।
पण्डितजी तोते को विद्या पढ़ाने बैठे । नस लेकर बोले, ''यह काम थोड़ी पोथियों का नहीं है ।''
राजा के भानजे ने सुना । उन्होंने उसी समय पोथी लिखनेवालों को बुलवाया । पोथियों की नकल होने लगी । नक़लों के और नक़लों की नक़लों के पहाड़ लग गये । जिसने, भी देखा, उसने यही कहा कि, ''शाबाश! इतनी विद्या के धरने को जगह भी नहीं रहेगी!''
नक़लनवीसों को लद्दू बैलों पर लाद-लादकर इनाम दिये गए । वे अपने-अपने घर की ओर दौड़ पड़े । उनकी दुनिया में तंगी का नाम-निशान भी बाकी न रहा ।
दामी पिंजरे की देख-रेख में राजा के भानजे बहुत व्यस्त रहने लगे । इतने व्यस्त कि व्यस्तता की कोई सीमा न रही । मरम्मत के काम भी लगे ही रहते । फिर झाडू-पोंछ और पालिश की धूम भी मची ही रहती थी । जो ही देखता, यही कहता कि ''उन्नति हो रही है।''
इन कामों पर अनेक-अनेक लोग लगाये गये और उनके कामों की देख-रेख करने पर और भी अनेक-अनेक लोग लगे । सब महीने-महीने मोटे-मोटे वेतन ले-लेकर बड़े-बड़े सन्दूक भरने लगे ।
वे और उनके चचेरे-ममेरे-मौसेरे भाई-बंद बड़े प्रसन्न हुए और बड़े-बड़े कोठों-बालाखानों में मोटे-मोटे गद्दे बिछाकर बैठ गये ।

4
संसार में और-और अभाव तो अनेक हैं, पर निन्दकों की कोई कमी नहीं है। एक ढूँढो हजार मिलते हैं । वे बोले, ''पिंजरे की तो उन्नति हो रही है, पर तोते की खोज-खबर लेने वाला कोई नहीं है!
बात राजा के कानों में पड़ी । उन्होंने भानजे को बुलाया और कहा, ''क्यों भानजे साहब, यह कैसी बात सुनाई पड़ रही है? ''
भानजे ने कहा, ''महाराज, अगर सच-सच बात सुनना चाहते हों तो सुनारों को बुलाइये, पण्डितों को बुलाइये, नक़लनवीसों को बुलाइये, मरम्मत करनेवालों को और मरम्मत की देखभाल करने वालों को बुलाइये । निन्दकों को हलवे-मॉड़े मे हिस्सा नहीं मिलता, इसीलिए वे ऐसी ओछी बात करते हैं ।''
जवाब सुनकर राजा नें पूरे मामले को भली-भाँति और साफ-साफ तौर से समझ लिया । भानजे के गले में तत्काल सोने के हार पहनाये गये ।

   0
0 Comments